अहो! अहो! पासजी! मुज मलिया रे…
(राग : श्री ऋषभजुं जन्म कल्याण रे…/पंचम सुरलोकना वासी रे…)
अहो! अहो! पासजी! मुज मलिया रे, मारा मनना मनोरथ फलिया…!
तारी मूरति मोहनगारी रे, सहु संघने लागे छे प्यारी रे;
तमने मोही रह्यां सुर नर-नारी… अहो अहो0।।1।।
अलबेली मूरत प्रभु! तारी रे, तारा मुखडा उपर जाउं वारी रे;
नाग-नागणीनी उगारी… अहो अहो0।।2।।
धन्य धन्य देवाधिदेवा रे, सुरलोक करे तारी सेवा रे;
अमने अापो ने शिवपुर मेवा… अहो अहो0।।3।।
तमे शिवरमणीना रसिया रे, जई मुक्तिपुरीमां वसीया रे;
मारा हृदयकमलमां वसिया… अहो अहो0।।4।।
जे कोई पार्श्वतणा गुण गाशे रे, भवोभवनां पातिक जाशे रे;
तेना समकित निर्मल थाशे… अहो अहो0।।5।।
प्रभु त्रेवीशमा जिनराया रे, माता वामादेवीना जाया रे;
अमने दरिशन द्योने दयाला… अहो अहो0।।6।।
हुं तो लळी लळी लागुं पाय रे, मारा उरमां ते हरख न माय रे;
एम ‘माणेकविजय’ गुण गाय… अहो अहो0।।7।।
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