अैसी कराे बक्षीस
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
प्रभु ! मेरे अैसी कर बकसीस,
द्वार द्वारन पे में नहि भटकुं, नाउ कीसही न सीस….. प्रभु.१
शुद्ध आतमकला घट प्रगटे, घटे राग अरू रीस
माेह फाटक खुले छीनमें, रमे ग्यान अधीस….. प्रभु.२
तुम अजाइब पास साहिब, हे जगपति जगदीश
गुन विलासकी आशा पूराे, कराे आप सरीस….. प्रभु.३
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