वामानंदन श्री प्रभु पास…

(राग : स्वामी! तुमे कांई कामण…/रघुपति राघव…/यह है पावन भूमि…)

वामानंदन श्री प्रभु पास, मारी सांभलो तुमे अरदास,
अमे सेवक छीए तुमारा, तुमे छो स्वामी हमारा,
ससनेहा हो साहिब! मोरा ससनेहा हो0…।।1।।
सुंदर प्रभुजी तुम रुप, जस दीठे हार्यो रति भुप;
प्रभु मुख विधुसम दीसे, देखी भवियणना मन हिसे… ससनेहा0।।2।।
कमलदल सम प्रभु तुम नयणा, अमृत परे मीठा छे वयणा;
अर्ध चंद्र सम तुम भाल, मानुं अधर जिस्यां परवाल… ससनेहा0।।3।।
शांत दांत गुणनो तुं भरीयो, ए तो अगणित गुणनो छे दरीयो;
साचो शिवपुरनो छे साथ, प्रभु! तुं छे अनाथनो नाथ… ससनेहा0।।4।।
ए तो भजन करवा ताहरुं, प्रभु! उल्लस्युं छे मनडुं माहरुं;
ए तो प्रेमविबुधनो शिश, ‘भाणविजय’ नमे निशदिश… ससनेहा0।।5।।

Leave a comment