Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : हो प्रभुजी! मुज अवगुण.../अो साथी रे.../जिन! तेरे चरण की...) पार्श्व प्रभुनां चरण नमीने, अरज करुं गुणखाणी; मिथ्यादेवनी मूर्ति…
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पार्श्व प्रभुजी रे, विनति मोरी मानना. (अंचली) अति दु:ख पाया मैंने, मोह के राज में (2); लाख चोराशी रे, योनि…
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(राग : एक पंखी अावीने.../फूल तुम्हें भेजा था खत में.../मेरा जीवन कोरा...) पार्श्व जिनेश्वर शिवगति पामी, प्रभु मुज अंतरयामीजी; पुण्य…
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(राग : देखी श्री पार्र्श्वतणी मूर्ति अलबेलडी...) पार्श्व जिणंदा माता वामाजी के नंदा, तुम पर वारी जाउं खोल खोल रे,…
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(राग : अाशावरी.../मैया मोरी में नहि.../अब मोहे.../मुनिवर! तुं मोहे दिल वस्यो....) पारस प्रभु! तुम हम शिर के मोर... पारस प्रभु!…
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(राग : सुणो शांति जिणंद.../मनमोहन सुंदर मेला.../सनेही संत ए गिरि सेवो...) नित्य समरुं साहिब सयणा, नाम सुणतां शीतल श्रवणा, जिन…
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(राग : माता मरुदेवीना नंद.../दादा अादेर्श्वरजी...) नवखंडाजी हो पास! मनडुं लोभावी बेठा अाप उदास...! तारे तो अनेक छे ने, मारे…
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(राग : सारंग-रसीअानी देशी) (राग : मारो मुजरो.../तुं प्रभु माहरो.../दिल दिया है.../युगोथी हुं पुंकारुं...) ध्रुवपद रामी! हो स्वामी! माहरा, नि:कामी!…
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(राग : वीरकुंवरनी वातडी...) दादा पारसनाथने नित्य नमीये रे, नित्य नमीये रे, नित्य नमीये... नमीये तो भव नहि भमीये, हांरे...…
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(राग : सिद्धारथना रे नंदन विनवुं.../छु लेने दो नाजुक...) तुं मनमोहन पार्श्व चिंतामणि, पूरे भविजन अाश; प्रह उठीने रे, नित्यपूजा…