विश्वशांति के मूलाधार समाधि के परम साधक अानंद, प्रेम व करुणा के महासागर घाती चतुष्क का क्षय कर समस्त तीर्थंकर…
श्री जीरावला तीर्थ... भगवान महावीर के चरणस्पर्श से पवित्र भूमि... चन्द्रावतीनगरी... पद्मावती नगरी... सिरोही जिला... देवनगरी... अनेकों तीर्थों की गिरिमालाअों…
भक्तजनों की मनोवांछना पूर्ण कराने वाले इस तीर्थ का प्रभाव सत्वर वृद्धिगत हुअा। सं.1368 में अल्लाउद्दीन की सेना ने कान्हडदेव…
वर्तमान काल में जिसे वरमाण कहा जाता है एवं प्राचीन काल में जो ब्रह्माण नाम से विख्यात था, उस स्थान…
अात्मविकास का समृद्धतम केन्द्र श्री जीरावला पार्श्वनाथ महातीर्थ चेतना का परम शिखर संसार के रेगिस्तान में एक छोटा सा मरुधान…
समकालीन तीर्थोद्धार का जो वातावरण बना है, तदन्तर्गत श्रीसिद्धगिरिराज, श्री शंखेर्श्वरजी, कलिकुण्ड, लोद्रवाजी, वाराणसी, नाकोडाजी, भीलडीयाजी, भोरोल, भाण्डवजी, कुल्पाकजी, भोपावरजी,…
इन जीर्णोद्धारों एवं पुनःप्रतिष्ठाअों की श्रृंखलाअों दरम्यान किसी पल प्रभावशाली प्राचीन श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा को मूल स्थान…
अर्बुदाचल के शिलालेखों से यह भी प्रमाणित हो चुका है, कि श्रमण भगवान श्री महावीर परमात्मा स्वयं ने अर्बुदाचल की…
सामान्यतः श्री सिद्धाचलजी, श्री गिरनारजी, श्री अाबूजी, श्री अष्टापदजी एवं श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थों की गणना महातीर्थों के रुप में की…
विश्व के विभिन्न देशों में व स्थानों में राजा कहने योग्य यदि कोई स्थान है, तो वह है... राजस्थान... स्थान…