Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : तुं प्रभु मारो.../वैष्णवजन तो तेने.../संभवजिनवर विनंति...) सूरज मंडण पाश्वजिणंदा, अरज सुणो टालो दु:ख दंदा; तुं साहिब! हुं छुं…
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(राग : ए मेरे वतन के लोगो.../तुम्हें सूरज कहुँ या चंदा...) सुणो पार्श्वजिनेश्वर स्वामी!, अलवेसर अंतरयामी, हुं तो अरज करुं…
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(राग : मालकौंस-मारा नाथनी बधाई.../मैया! मोरी मैं नहीं.../वैष्णव जन तो...) सुखदाई रे सुखदाई, दादो पासजी सुखदाई, एेसो साहिब नहि कोउ…
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(राग : सांभलो कलश जिन.../जय गणेश जय गणेश देवा...) सार कर सार कर स्वामी शंखेश्वरा, विश्व विख्यात एकांत अावो; जगतना…
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(राग : अाज मारा प्रभुजी!.../वीरजिणंद जगत.../मेरा नैना.../फूल तुम्हें भेजा...) समय समय सो वार संभारुं, तुजशुं लगनी जोर रे; मोहन मुजरो…
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(राग : मेरा जीवन कोरा कागज.../सोना केंरा कांगरा ने...) सदा अाणंद नयन मेरे, भेटिया भगवान रे; पासथंभण भुवनमंडण, तीर्थतिलक समान…
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(राग : यह है पावन भूमि...) श्री शंखेश्वर प्रभु पास, मारी विनंती मानो खास, करो मुज हैयामां वास, मने दरिसण…
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(राग : अब सौंप दिया इस जीवन को...) श्री चिंतामणि प्रभु पार्श्वजी!, दादा वात सुणो एक मोरी रे; मारा मनना…
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(राग : पहेले भवे एक गामनो रे...) श्री चिंतामणि पार्श्वजी रे, द्यो दरिसण महाराज; सुरतरुनी परे शोभता रे रे अापो…
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(राग : तेरा मेरा प्यार अमर.../तारी प्रीतनी केवी असर...) शेरी मांहे रमता दीठा, पार्र्श्वकुंवर नानडिया रे; रूमझुम रूमझुम घुघरा धमके,…