करतां नित्य भोलामणी…

(राग : देखी श्री पार्र्श्वतणी मूर्ति अलबेलडी...) करतां नित्य भोलामणी, प्रभु! इम के ता दिन जाशे हो, भीना जे अोलग…

एहिज उत्तम काम बीजुं…

(राग : मारी नावलडी मझदार.../सुणजो साजन संत...) एहिज उत्तम काम, बीजुं मने कांई न गमे; सुकृत कमाई फल पत पाई,…

अोलगडी अवधारो अाश धरी…

(राग : हे त्रिशलाना जाया...) अोलगडी अवधारो... अाश धरी हुं अाव्यो...! श्री शंखेश्वर अलवेसर तारी, अाश धरी हुं अाव्यो... सेवक…

अाज मनोरथ माहरो फलियो…

(राग : तुज शाशनरस अमृत मीठुं.../एक पंखी अावीने...) अाज मनोरथ माहरो फलियो, पास जिनेसर मलियो रे; दुरगतिनो भय दूरे टलियो,…

अाई बसो भगवान ! मेरे मन…

(राग : एेसी करो बक्षीस.../शिवरंजनी.../अब मोहे.../मेरे नैना सावण...) अाई बसो भगवान! मेरे मन... अाई बसो भगवान...! मैं निर्गुणी इतना मागत…

अहो! अहो! पासजी! मुज मलिया रे…

(राग : श्री ऋषभजुं जन्म कल्याण रे.../पंचम सुरलोकना वासी रे...) अहो! अहो! पासजी! मुज मलिया रे, मारा मनना मनोरथ फलिया...!…

अब मोहे एेसी अाय बनी…

(राग : मालकौंस.../जिन! तेरे चरण की.../मैया मोरी में नहीं माखण...) अब मोहे एेसी अाय बनी, अब मोहे एेसी अाय बनी..!…

अजब बनी है सूरत जिन की…

(राग : मैं नहीं माखण.../अब मोहे एेसी अाय.../कोयल टहुंक रही...) अजब बनी है सूरत जिन की, खूब बनी रे मूरत…

अखियाँ हरखण लागी…

(राग : राम राखे तिम रहीए अोधवजी.../मैत्रीभावनुं पवित्र.../कोयल टहुंक...) अखियाँ हरखण लागी, हमारी अखीयाँ हरखण लागी...! दरिशन देखत पार्श्वजिणंद को,…

अखियाँ दरिशन की है प्यासी….

(राग : तुम दरीशन भले पायो.../मैं तुलसी तेरे अांगन की...) अखियाँ दरिशन की है प्यासी, अखियाँ0 प्यास बुझावो... प्यास बुझावो...…