अाई बसो भगवान ! मेरे मन…

(राग : एेसी करो बक्षीस…/शिवरंजनी…/अब मोहे…/मेरे नैना सावण…)

अाई बसो भगवान! मेरे मन… अाई बसो भगवान…!
मैं निर्गुणी इतना मागत हुं, होवे मेरा कल्याण… मेरे मन0।।1।।

मेरे मन की तुम सब जानो, क्या करुं अाप से ब्यान;
विश्व हितैषी दीन दयालु, रखीये मुज पर ध्यान… मेरे मन0।।2।।

भोगाधीन होवत मन मेलुं, बिसरी तुम गुण गान;
वहां से छुडावो हृदये अाई, अरिभंजक भगवान… मेरे मन0।।3।।

अाप कृपा से तर गये केई, रह गया मैं दर्दवान;
निगाह रखके निर्मल कीजिये, धनवंतरी भगवान… मेरे मन0।।4।।

श्री शंखेश्वर पार्श्व जिनेश्वर, दीजिये तुम गुण गान;
इनही सहारे चिद्घन देवा, बनुंगा अाप समान… मेरे मन0।।5।।

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