Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
मनमोहन प्रभु पासजी, सुणो जगत आधारजी, शरणे आव्यो प्रभु ताहरे, मुज दुरित निवारजी. 1 विषय कषायना पाशमां, भम्यो काल अनंतजी,…
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सेवाे भविजन जिन त्रेविशमाे, लंछन नाग विख्यात. जलधर सुंदर प्रभुजीनी देहडी, वामा राणीनाे जात-सेवाे० (१) चउदिशे घाेर घटा धनशुं मळ्याे,…
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मेरे जीयमें लागी आसकी, हु ताे पलक न छाेडुं पासे ज्युं जानाे त्युं राखीये, तेरे चरनका हुं दास रे-मेरे० (१)…
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पुरिसादाणी पासजी, प्रभु-पाय नमुं नित मेवा रे । प्रत्यक्ष परचा पूरण, सुर-नायक सारे सेवा रे - पुरिसा ० ।।१।। पूरव-पुण्य…
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पुरिसादाणी पासजी अवधाराे, अवधाराे मुज अरदास रे - सेवाशंु मनघणुं । अहनिशि हियडा में वस्या रही, कुसुमे जेम सुवास रे…
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जी रे ! आज दिवस भलें उगियाे जी रे, आज थयाे सु-विहाण । पास-जिणेसर भेटीया, थया आनंद-कुशल-कल्याण हाे - साजन…
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(राग : है ज्ञान की ये गंगा शासन की अमर कहाणी...) ॐ नमो पार्श्व पद पंकजे, विश्व चिंतामणि रत्न रे;…
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(राग : हो प्रभुजी! मुज अवगुण.../जिण! तेरे चरण.../अब मोहे एेसी अाय...) हो साहिब! पास रंग लग्गा, रंग लग्गा, चोलरंग लग्गा,…
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(राग : जिन! तेरे चरण की शरण ग्रहुँ...) हे प्रभु! पार्र्श्व चिन्तामणि मेरो.. मेरो प्रभु..! पार्र्श्वचिन्तामणि मेरो..! मिल गयो हीरो…
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(राग : सुणो चंदाजी! सीमंधर.../यह है पावनभूमि...) हे अविनाशी! नाथ निरंजन... साहिब मारो...साहिबो साचो...! हे शिववासी! तत्त्व प्रकाशी, साहिब मारो...साहिबो…