ॐ नमो पार्श्व पद पंकजे…
(राग : है ज्ञान की ये गंगा शासन की अमर कहाणी…)
ॐ नमो पार्श्व पद पंकजे, विश्व चिंतामणि रत्न रे;
ॐ ह्रीँ धरणेन्द्र पद्मावती, वैरोट्या करो मुज यत्न रे… ॐ नमो0।।1।।
अब मोहे शांति तुष्टि महा, पुष्टि धृति कीर्ति विधायि रे;
ॐ ह्रीँ अक्षर मंत्रथी, अाधि व्याधि सवि जाय रे… ॐ नमो0।।2।।
ॐ असिअाउसाय नमो नम:, तुं त्रैलोक्यनो नाथ रे;
चोसठ इंद्रो टोले मली, सेवे जोडी प्रभु हाथ रे… ॐ नमो0।।3।।
ॐ ह्रीँ श्री प्रभु पार्श्वजी, मूलना मंत्रनुं बीज रे;
पार्श्वथी सर्व दूरित टले, अावी मिले सवि चीज रे… ॐ नमो0।।4।।
ॐ अजिता विजया तथा, अपरा विजया जया देवी रे;
दश दिशीपाल ग्रही यक्ष जो, विद्या देवी प्रसन्न होय सेवी रे… ॐ नमो0।।5।।
गोडी प्रभु पार्श्व चिंतामणि, थंभणो अहिछत्रो देव रे;
जगवल्लभ जगे जागतो, अंतरीक्ष वरकाणो करुं सेव रे… ॐ नमो0।।6।।
श्री शंखेश्वर पूर मंडणो, पार्श्व जिन प्रणत तरू कल्प रे;
वारजो दुष्टना वृंदने, ‘सुजस’ सौभाग्य सुख कल्प रे… ॐ नमो0।।7।।
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