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नौवा भव दसवें प्राणत में देव और चौथे पृथ्वी में नारक

मरुभूति का जीव सुवर्णबाहु कालधर्म प्राप्त कर दसवें देवलोक में बीस सागरोपम आयुष्य वाले देव हुए। मरुभूति के जीवने मनुष्यभव…
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10वां भव प्रभु पार्श्वनाथ और कमठ

पार्श्वप्रभु का च्यवन :- दसवें देवलोक का आयुष्य पूर्ण होने पर अन्तिम च्यवन मरुभूति के जीव का इस भरतक्षेत्र के काशी…
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पार्श्वकुमार की दीक्षा

एक बार पार्श्वकुमार बसन्त ऋतु में प्रभावती के साथ नगर के उद्यान में गए थे। वहाँ घूमते हुए वे एक…
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मेघमाली का उपसर्ग और सम्यग्दर्शन

वहाँ से विहार कर प्रभु एक वटवृक्ष के नीचे ध्यानस्थ हुए। कमठ का जीव मेघमाली देव बनकर अपने पूर्वभव के…