मारुं आयखुं खूटे जे घडीए…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Bhaktigeet
मारुं आयखुं खूटे जे घडीए; त्यारे मारा हृदयमां पधारजो;
छे अरजी तमोने दादा एटली; मारा मृत्युने स्वामी सुधारजो.. छे अरजी0..1
जीवननो ना कोई भरोसो; दोडा दोडीना आ युगमां;
अंतरियाले जईने पडुं जो, ओचिंता मृत्युना मुखमां;
त्यारे मारा स्वजन बनी आवजो; थोडा शब्दो धर्मना सुणावजो.. छे अरजी0…2
दर्दो वध्या छे आ दुनियामां, मारे रिबावी रिबावीने;
एवी बिमारी जो मुझने सतावे, छेल्ली पलोमां रडावीने;
त्यारे मारी मददमां पधारजो, पीडा सहेवानी शक्ति वधारजो.. छे अरजी0..3
जीववुं थोडुं नें जंजाल झाझी, एवी स्थिति आ संसारनी;
छूटवा दे ना मरती वेलाए, चिंता मने जो परिवारनी;
त्यारे दीवो तमे प्रगाटावजो, मारा मोह तिमिरने हटावजो.. छे अरजी0..4
Tags: Jain Bhaktigeet
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