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तीसरा भव देव और नारक

मरुभूति का जीव हाथी मरकर आठवें देवलोक में देव हुआ और कमठ का जीव मरकर पाँचवीं नरक में गया।
एक की आत्मा विकास की ओर प्रयाण करने लगी तो दूसरे की आत्मा विनाश की ओर..! अरविन्द मुनि ने भी अष्टापद पर्वत पर जाकर केवलज्ञान प्राप्त किया और आयुष्य पूर्ण कर मोक्ष में गए।

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