
सातवाँ भव ग्रैवेयक देव और सातवीं पृथ्वी में नारक
मरुभूति का जीव वज्रनाभ राजर्षि कालधर्म प्राप्त कर मध्य ग्रैवेयक देवलोक में देव हुए और भील मरकर सातवीं नरक में गया।
मरुभूति की आत्मा ग्रीष्मऋतु के थर्मामीटर की भाँति ऊपर चढ़ती है। जबकि कमठ की आत्मा पर्वत पर से गेंद की भाँति नीचे लुढ़कती हुई सबसे नीचे सातवीं नरक में पहुँच गई।
कर्म की कैसी विचित्रता है… कि मरुभूति के जीव की मृत्यु कमठ के जीव के मिलन से होती है तथा कमठ उसकी मृत्यु का निमित्त बनता है।
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