श्री जीरावला महातीर्थ का जाज्वल्यमान इतिहास

अात्मविकास का समृद्धतम केन्द्र
श्री जीरावला पार्श्वनाथ महातीर्थ चेतना का परम शिखर
संसार के रेगिस्तान में एक छोटा सा मरुधान

श्री जीरावला तीर्थमंडन श्री जीरावला पार्श्वनाथजी का विग्रह बना है दूध अौर रेणु से! दादा श्वेतवर्ण तथा सात नागशीर्षों द्वारा अलंकृत है। प्रभुजी परिक्रमा मार्ग (भमती) में मूलनायक की बाई दिशा में स्थित दीवाल के एक विशेष भाग में बिराजमान थे। प्रभुजी के विग्रह पर अमूल्य मोतीयों का लेप किया गया है।
जीरावला तीर्थ की गरिमा का जाज्वल्यमान इतिहास है। यह प्राचीन एवं वैभवशाली नगर पुरातन काल से समृद्ध तीर्थ स्वरुप परिचित है। श्री जीरावला पार्श्वनाथ तीर्थ के उद्गम की एक कथा शास्त्रों में पायी जाती है। प्राचीन ग्रंथों में जीरावल्ली, जीरिकापल्ली, जीरावल्ली इन नामों द्वारा उल्लेख किया गया है।

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