वीरों व महावीरों की मरुभूमि

श्री जीरावला तीर्थ… भगवान महावीर के चरणस्पर्श से पवित्र भूमि… चन्द्रावतीनगरी… पद्मावती नगरी… सिरोही जिला… देवनगरी… अनेकों तीर्थों की गिरिमालाअों में स्थित मन्दिरों में ’’श्री जीरावला पार्र्श्वनाथ तीर्थ’’ का स्थान अनोखा है उसकी महिमा अपरम्पार है… जिस तरह एक माँ के समान इन सभी मन्दिरों को ममत्व प्रदान करता है व अर्बूद गिरिराज एक पिता के समान अपनी छत्र छाया प्रदान कर इनका पालन करता है। एेसा अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर लाखों श्रद्धालुअों का मन श्रद्धा अौर भक्ति से रोमांचित हो जाता है, भक्त अौर भगवान दोनों मानों प्रकृति के साथ अाँख मिचौली का खेल खेल रहे हो। यह है यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य एवं वातावरण…
सिरोही जिले की धरा, धरा नही- वसुंधरा मानी गई है। इसलिये कि यह पूर्व अाचार्यश्रीयों की जन्म भूमि भी है, जैसे मण्डार नगरी जिसमें पूज्य अा. अजितदेवसूरीर्श्वरजी ने जन्म लिया, उस समय दिगम्बर-श्वेतांबर का जोरदार विवाद चला व अाचार्यश्री ने उसका वाद किया व जीत गये! कहते हैं अगर वो नहीं होते तो र्श्वेतांबर धर्म सम्प्रदाय ही नहीं रहता! तत्पश्चात् वे वादिदेवसूरिजी के नाम से प्रख्यात हुए। पाल़डी-गुलाबगंज नगरी ने पूज्य श्री लक्ष्मीसूरिजी को जन्म दिया, मीरपुर नगरी ने पूज्य श्री पार्र्श्वचंद्रसूरिजी को जन्म दिया, दंताणी नगरी जिसने पूज्य
श्री अार्यरक्षितसूरिजी को जन्म दिया, पोसीन्तरा नगरी ने पूज्य श्री खिमाविजयजी को जन्म दिया, वेलांगरी नगरी ने सुमतिसुंदरसूरि को जन्म दिया, पिण्डवा़डा नगरी ने श्री प्रेमसूरीर्श्वरजी को जन्म दिया, फलौदी नगरी ने पूज्य कलापूर्ण सूरिजी को जन्म दिया… यह है हमारे पूर्वाचार्यों की वसुंधरा।
श्री जीरावलाजी तीर्थ – अाबू रो़ड रेल्वे स्टेशन से 45 कि.मी., सिरोही रो़ड रेल्वे स्टेशन से 78 कि.मी., अहमदाबाद से 225 कि.मी., उदयपुर से 180 कि.मी., जोधपुर से 225 कि.मी., जयपुर से 450 कि.मी. व
श्री शंखेर्श्वर तीर्थ से 215 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ पधारने से विश्वविख्यात श्री देलवा़डा जैन तीर्थ, श्री मूंगथला, श्री बामनवाडजी, श्री नांदिया, श्री नांणा, श्री लोटाना, श्री अजारी, श्री कोलरगढ़, श्री वरमाण, श्री दियाणाजी, श्री मानपुर तीर्थ, श्री मीरपुर तीर्थ, श्री सिवेरा तीर्थ, श्री उन्दरा, श्री बालदा, श्री दन्ताणी, श्री पावापुरी तीर्थ जीवमैत्री धाम, संघवी भेरूतारक धाम तीर्थ, श्री अचलगढ़, श्री सिरोडीया पार्र्श्वनाथ, श्री केवलबाग, श्री धवली, श्री सिंदरथ, श्री गो़डीजी, श्री कोरटाजी, श्री अाबू तलेटी जैन तीर्थ-मानपुर,
श्री सियाकरा, श्री सिरोड की एवं अर्द्धशत्रुंजय के गौरव से विभूषित एक पंक्ति में स्थित भव्य प्राचीन चौदह
जिन मंदिरों से सजी देवनगरी सिरोही अादि तीर्थ भूमियों के दर्शन-पूजन का लाभ होगा।

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