आज आनंद भयो…सुजश रंगायो है…

(महो. यशो वि. कृत अध्यात्म पद)
आज आनंद भयो, प्रभु को दर्श लह्यो, रोम रोम शीतल भयो…
प्रभु चित्त आये है… प्रभु चित्त आये है, व्हाला चित्त आये है. आज. 1
मनहुं ते धार्या तोहे, चलके आयो मन मोहे,
चरण कमल तेरो, मन में ठहरायो है, रोम-रोम0 आज. 2
अकल अरूपी तुंहि, अकल-अमूरती योंही…
निरख निरख तेरो, सुमति सुमिलायो है, रोम-रोम0 आज. 3
सुमति स्वरुप तेरो, रंग भयो एक अनेरो…
वाइ रंग आत्म प्रदेशे, ‘सुजश’ रंगायो है, रोम-रोम0 आज. 4

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