आँखडी मारी हरखाय…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Bhaktigeet
आँखंडी मारी प्रभु ! हरखाय छे, ज्यां तमारा मुखना दर्शन थाय छे…आंखडी मारी…
पग अधीरा दोडतां देरासरे, द्वारे पहोचुं त्यां अजंपो थाय छे…ज्यां0 1
देवनुं विमान जाणे उतर्युं, एवुं मंदिर आपनुं सोहाय छे…ज्यां0 2
चांदनी जेवी प्रतिमा आपनी, तेज एनुं चोतरफ फेलाय छे…ज्यां0 3
मुखडुं जाणे पुनमनो चंद्रमां, दिलमां तो ठंडक अनेरी थाय छे…ज्यां0 4
बस तमारा रूप ने निरख्यां करुं, लागणी एवी हृदयमां थाय छे…ज्यां0 5
Tags: Jain Bhaktigeet
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