बधी मिल्कत तने धरुं…

बधी मिल्कत तने धरुं तो पण, तारी करुणानी तोले ना आवे,
ते मने प्यार जे कर्यो भगवंत, माराथी एनुं मूल ना थाये,
जिंदगीभर तने भजुं तो पण, तारी ममताने तोले ना आवे,
ते मने प्रमे जे दीधो भगवंत, माराथी एनुं मूल ना थाये… 1
अनादि कालथी भटकवामां, कोई स्थाने मिलन थयुं तारुं,
या तो उपदेश में सुण्यो तारो, जेने बदली दीधुं जीवन मारुं;
भोमीया तो घणा मल्यां मुझने, कोई प्रभु तारी तोले ना आवे,
ते मने राह जे बताव्यो छे, माराथी एनुं मूल ना थाये… 2
मने साची सलाह तें दीधी, एथी आचरण में कर्युं एनुं,
साची करणी करी कोई भवमां, आ भवे फल मने मल्युं एनुं;
मारा उपकारी छे घणा जगमां, कोई प्रभु तारी तोले ना आवे,
ते मने धर्म जे पमाड्यो छे, माराथी एनुं मूल ना थाये… 3
मल्यां छे जे सुखो मने आजे, ए बधा धर्मना प्रभावे छे,
तारा चरणे बधुं धरी देतां, मने आनंद अति आवे छे;
तारुं आ ऋण क्यारे चुकवाशे, मने अंदाज एनो ना आवे,
भवोभव सेवना करूं तारी, तोए संतोष मुजने ना थाये… 4

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