दूरदूरथी तारा दरबारे आव्यो…
दूरदूरथी तारा दरबारे आव्यो, पार्श्वनाथ दादा तारा दरबारे आव्यो,
दर्शन करवाने हुं तो शंखेश्वर आव्यो,
दर्शन देजो दादा रे (2)…दादा रे दादा रे दादा रे…दूरदूरथी0.. 1
तुं छे समर्थ दादा एवुं में जाण्युं, हुं छुं अज्ञानी कांई वधु ना हुं जाणुं,
आव्यो हुं तारे द्वारे, हैयमां धरी हाम, वलशे मुजने निरांत, हवे थावुं ना निराश,
एवा एवा मनसुबा घडी हुं तो आव्यो,
पूरजो पूरजो दादा रे (2)…दादा रे दादा रे दादा रे…दूरदूरथी0.. 2
जन्मो जनमथी दादा मुजने तुं जाणे, प्रीत तारी मारी दाद लोको शुं जाणे,
कहेवुं शुं जगने आज, तारी मारी आ छे वात,
साचवजे मुजने नाथ, विनंती छे मारी आज,
अंतरनी प्रार्थना तुं जाणे अजाणे,
सुणजो सुणणो दादा रे (2)…दादा रे दादा रे दादा रे…दूरदूरथी0.. 3
करने कसोटी हवे बंद मारा दादा, कर्मोना लेख हवे बदल मारा दादा
सहेवानी शक्ति खूटी, जीवननी आशा तूटी, लोक जाय लाज लूटी, हवे मारी धरीज खूटी,
रडतो रझडतो हुं तारे द्वार आव्यो,
गुणरत्नसूरि दादा तारे द्वारे आव्या, तारजो तारजो दादा रे0.. 4
आवजो आवजो दादारे…पूरजो पूरजो दादा रे…
मलजो मलजो दादा रे… दादा रे दादा रे…दूरदूरथी0..
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