कहुं शंखेश्वर पार्श्वजीनी वारता…

कहुं छुं शंखेश्वर पार्श्वजीनी वारता, एतो शरणे आवेलाने तारता…ए तो0
एनी मूर्ति छे मोहनगारी, भवोभवना ते दुःख हरनारी,
जेना दर्शने, देवताओ आवतां…ए तो. कहुं छुं. 1
व्हालो पातालमांथी पधारता, दुःखियां कुलना दुःख निवारतां,
रूडा शंखेश्वर गामे बिराजता…ए तो. कहुं छुं. 2
दूर देशोथी यात्रालु आवतां, एनी भक्तिनी धून मचावतां,
एना दरवाजे नोबत वागता…ए तो. कहुं छुं. 3
एना मुखडा उपर जाऊंवारी, नाग बलताने लीधो उगारी,
मारा शमणामां पार्श्वप्रभु आवतां, ए तो शरणे आवेलाने तारतां. कहुं छुं. 4

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