केवा केवा दुःखडा स्वामी

केवा केवा दुःखडा, स्वामी में सह्यां नारकीमां,
एक रे जाणे छे, मारो आत्मा परमात्मा0 हो.. जी रे एक रे जाणे छे0
लबकारा लेती काली वेदनाओ सहेतां-सहेतां,
वरसोना वरसो स्वामी में विताव्यां त्रासमां,
इ…रे मलकनुं ज्यारे, पुरूं थयुं आयखुं त्यां,
जनम थयो रे मारो जानवरना लोकमां (2)
दुःखडा निवारो मारा जनम-मरणना परमात्मा0
केवा-केवा जुल्मो वेठ्यां, जानवर बनीने स्वामी,
एक रे जाणो छे मारो आत्मा परमात्मा0
बोजो अलखामणो ने लाकडीना मार खातां,
वहेती’ती आसुंडानी धार मारी आंखमां,
इ…रे मलकनुं ज्यारे, पुरू थयुं आयखुं त्यां,
जनम थयो रे मारो देवताना लोकमां (2)
दुःखडा निवारो मारा जनम मरणना परमात्मा0
केवा-केवा मंथन स्वामी, में कर्या देवलोकमां,
एक रे जाणे छे मारो आत्मा परमात्मा0
रिद्धि ने सिद्धि तोये तमारे वियोगे स्वामी,
जन्मारो गाल्यो ज्यारे घोर कारावासमां,
इ…रे मलकनुं ज्यारे, पूरूं थयुं आयखुं त्यां,
जनम थयो रे मारो मानवीना लोकमां,
दुःखडा निवारो मारो, जनम मरणना परमात्मा0
केवा-केवा नाटक स्वामी, हुंँ करू आ जनममां,
एक रे जाणे छे मारो आत्मा परमात्मा,
मनडानी माया काजे करवा पडे छे मारे,
डगलेने पगले नवला रूप आ संसारमां,
इ…रे मलकनुं ज्यारे, पुरू थयुं आयखुं त्यां,
तेडावो मुजने स्वामी त्यां तमारा लोकमां,
दुःखडा निवारो मारा जनम मरणना परमात्मा,
केवा-केवा वरणनो स्वामी में सुण्या ए मलकना,
अधीरो बन्यो छे मारो आत्मा परमात्मा,
जनम-जरा मृत्यु केरा दुःखडा ने बदले स्वामी,
रहेवानुं त्यां तो सुखना शाश्वता सहेवासमां,
चार-चार गतिना फेरा हवे नथी फरवा मारे,
करवो छे कायमनो वसवाट पंचम लोकमां,
दुःखडा निवारो मारा जनम-मरणना परमात्मा,

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