क्यारे बनीश हुं साचो रे संत…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Bhaktigeet
क्यारे बनीश हुं साचो रे संत, क्यारे थशे मारा भवनो रे अंत…
लाख चौराशीना चौरेने चौटे, भटकी रह्यो छुं मारग खोटे,
क्यारे मलशे मुजने मुक्तिनो पंथ क्यारे थशे मारा भवनो रे अंत 1
काल अनादिनी भूलो छूटे ना, घणुंये मथुं तोए पापो खूटे ना,
क्यारे तूटशे ए पापोनो तंत व क्यारे थशे मारा भवनो रे अंत 2
छः काय जीवनी हुं हिंसा रे करतो, पापो अढारे जरी ना विसरतो,
मोह मायानो हुं तो रटतो रे मंत्र, क्यारे थशे मारा भवनो रे अंत. 3
पतित पावन प्रभुजी उगारो, रत्नत्रयी नो हुं याचक तारो,
भक्त बनी मारे थावुं महंत, क्यारे थशे मारा भवनो रे अंत. 4
Tags: Jain Bhaktigeet
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