मारा प्रभुनी आँखे जोई…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Bhaktigeet
मारा प्रभुनी आँखे जोई, करुणानी धार रे, लई जाशे सहुने सिद्धिशिला मोझार रे…
ज्यारे वरसी करुणा, मंदिर केरा स्थानमां;
मंदिर बनी गयुं समवसरण धामरे… मारा प्रभुनी…1
ज्यारे वरसी करुणा, अणु-परमाणु पर;
मंदिर मूर्तिमां थयो, प्रभु केरो वास रे… मारा प्रभुनी…2
ज्यारे वरसी करुणा, मानवी ना मन पर;
मन थयुं स्थिर धीर, पाम्या केवलज्ञान रे… मारा प्रभुनी…3
ज्यारे वरसी करुणा, नारकीना जीव पर;
जीवो सहु शाता पामी, जाशे मुक्ति धाम रे… मारा प्रभुनी…4
Tags: Jain Bhaktigeet
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