कर्म पास विदारवा
Post by: arihant in Shri Parshwanath Chaityavandan
कर्म पास विदारवा, पास भजो धरी अाश;
चरण कमल तस सेवता, मेलवशो शिव वास. 1
अहि लंछन प्रभु शोभता, अश्वसेन कुल सार;
वामादेवीनो लाडलो, वाणारसी मोझार. 2
शत वरस प्रभु अाउखुं, परणी प्रभावती नार;
नेमि चित्त विलोकीने, बन्या मुनि पद धार. 3
चोराशी दिन संजमी, सह्या उपसर्ग अपार;
धातकी तले केवल लही, तार्या बहु नर नार. 4
सम्मेतशिखर उपरे, अणसण करी उदार;
अात्मकमल लब्धि लही, पहोंच्या मुक्ति मोझार. 5
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