पार्श्वनाथ भ. नुं चैत्यवंदन
Post by: arihant in Shri Parshwanath Chaityavandan
ज्य चिंतामणि पार्श्वनाथ, ज्य त्रिभुवन जायाे;
क्षत्रीयकुंडमां अवतर्याे, सुर नरपति गायाे……१
मृगपती लंछन पाउले, सात हाथनी काया;
बहाेतेर वरसनुं आउखुं, वीर जिनेश्वर राया…..२
खिमाविजय जिनरायना अे, उत्तम गुण अवदात;
सात बाेलथी वर्णव्या, पद्मविजय विख्यात…….३
Tags: Jain Chaityavandan
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