एम कृपा मूरत पार्श्वस्वामी

एम कृपा मूरत पार्श्वस्वामी, मुगतिगामी ध्याईए;
अति भक्ति भावे विपत्ति जावे, परम संपत्ति पाईए।
प्रभु महिमा सागर गुण वैरागर, पार्र्श्व अंतरिक्ष जे स्तवे,
तस सकल मंगल जय जयारव, ‘अानंदवर्धन’ विनवे।।

Leave a comment