अजब बनी है सूरत जिन की…

(राग : मैं नहीं माखण…/अब मोहे एेसी अाय…/कोयल टहुंक रही…)

अजब बनी है सूरत जिन की, खूब बनी रे मूरत प्रभु की…अजब0 ।।1।।
निरखत नयनथी गयो भय मेरो, मिट गई पलक में मूढता मन की… ।।2।।
अंगे अनुपम अंगिअा अोपे, जगमग ज्योति जडाव-रतन की… ।।3।।
प्रभु! तुम महेर नजर पर वारुं, तन मन सब कोडा कोडी धन की… ।।4।।
अहर्निश अाण वहे सुरपति शिर, मनमोहन अश्वसेन सुतनन की… ।।5।।
‘उदयरत्न’ प्रभु पार्श्व शंखेश्वर, मान लीजो खीजमत सब दीन की… ।।6।।

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