अखियाँ हरखण लागी…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : राम राखे तिम रहीए अोधवजी…/मैत्रीभावनुं पवित्र…/कोयल टहुंक…)
अखियाँ हरखण लागी, हमारी अखीयाँ हरखण लागी…!
दरिशन देखत पार्श्वजिणंद को, भाग्य दशा अब जागी… हमारी0।।1।।
अकल अरुपी अौर अविनाशी, जग में तुं ही निरागी… हमारी0।।2।।
सुरति सुंदर अचरिज एही, जग जनने करे रागी… हमारी0।।3।।
शरणागत प्रभु! तुज पद पंकज, सेवना मुज मति जागी… हमारी0।।4।।
लीला लहेरे दे निज पदवी, तुम सम को नहीं त्यागी… हमारी0।।5।।
वामानंदन चंदननी परे, शीतल तु सौभागी… हमारी0।।6।।
‘ज्ञानविमल’ प्रभु ध्यान धरंता, भव भय भावठ भांगी… हमारी0।।7।।
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