एहिज उत्तम काम बीजुं…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : मारी नावलडी मझदार…/सुणजो साजन संत…)
एहिज उत्तम काम, बीजुं मने कांई न गमे;
सुकृत कमाई फल पत पाई, पामुं प्रभुनुं नाम… बीजुं0।।1।।
धन पखवाडो धन ते दहाडो, धन ते घडी लय जाम;
सार संसार में एहीज जाणुं, जे जपीए जिननाम… बीजुं0।।2।।
धन ते गाम नगर वर-पट्टण, पुर संबाधन ठाम;
तेहिज भवन विमान अमान गुण, जिहां होय जिणवर धाम… बीजुं0।।3।।
कष्टक्रिया सवि तुम विण निष्फल, ज्युं गगने चित्राम;
जे तुम चार निक्षेप धीठ्ठा, करणी तस सवि वाम… बीजुं0।।4।।
तुम अाणा विण सेवे कांई, भाग असंख बदाम;
ते खसीया परे हाथ घसे नर, दु:ख लहे जिम गदपाम… बीजुं0।।5।।
पास शंखेश्वर परचो पूरण, पुहविये दशशत धाम;
‘ज्ञानविमल’ प्रभु संगति एही, लाखकोडि निधिदाम… बीजुं0।।6।।
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