भवजल पार उतार…

(राग : याद अावे मोरी मां…)

भवजल पार उतार (2) श्री शंखेश्वर पार्श्व जिनेश्वर,
मारो तुं एक अाधार…मारो तुं एक अाधार… श्री शंखेश्वर0।।1।।

काल अनंतो भमतां भमतां, क्यांय न अाव्यो अारो,
धन्य घडी ते मारी अाजे, दीठो तुम देदारो,
दीठो तुम देदार… दीठो तुम देदार… श्री शंखेश्वर0।।2।।

तुं वीतरागी, तुं अविनाशी, तुं नीराबंधी देव.
हुं रागी छुं पापी जीवडो, भमतो भव अपार,
भमतो भव अपार… भमतो भव अपार… श्री शंखेश्वर0।।3।।

अा दुनियामां तारा जेवो, कोई न तारणहार,
वामानंदन चंदननी परे शीतल जेनी छाय,
शीतल जेनी छाय… शीतल जेनी छाय… श्री शंखेश्वर0।।4।।

भवोभव तुम चरण सेवा, मांगु छुं दीनदयाला,
‘रंगविजय’ कहे प्रेमशुं रे, विनंति ए अवधार,
विनंति ए अवधार… विनंति ए अवधार… श्री शंखेश्वर0।।5।।

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