देखी में मूर्ति पार्श्व जिणंदनी…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग: देखी श्री पार्श्व तणी मूरती अलबेलडी…)
देखी मैं मूर्ति पार्श्व जिणंदनी, अंतर अानंद उभराय रे
प्रभु गुण गाउं हुं प्रेमथी, जिन गुण गाउं हुं प्रेमथी
समता ने धारी ममता ने मारी, संकटमां नहीं गभराय रे 1
रागीने भाेगीने त्यागी बनाव्या, ज्ञान ज्याेतिथी उजमाल रे 2
गंगा किनारे जई तापस ने बाेधि नागने बलताे बचाय रे 3
चिंतामणि सम स्मरण जेनुं, मनाेवांछित पूरनार रे 4
राजेन्द्र ध्याउं यतीन्द्र गाउं, पाउं जयन्त सुखधाम रे 5
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