हे प्रभु! पार्र्श्व चिन्तामणि मेरो…

(राग : जिन! तेरे चरण की शरण ग्रहुँ…)

हे प्रभु! पार्र्श्व चिन्तामणि मेरो.. मेरो प्रभु..! पार्र्श्वचिन्तामणि मेरो..!
मिल गयो हीरो मिट गयो फेरो, नाम जपुं नित्य तेरो तेरो… प्रभु0।।1।।
प्रीत बनी है प्रभुजी से प्यारी, जैसे चंद चकोरो चकोरो… प्रभु0।।2।।
‘अानंदघन’ प्रभु! चरण-शरण है, दीयो मोहे मुक्ति में डेरो डेरो… प्रभु0।।3।।

Leave a comment