हाेरीया अदूभुत दिखाउ
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
हाेरीया अदूभुत दिखाउ, मगसी जिन दिलमां ध्याउ || हाे ||
आतमरूप अनंत जिताउ अेकही अेक कहाउ |
भेद अनेक रहा सब जगमे, रूप अेकही वहाउ || हाे १||
केवलदर्शित अे विध पाउं, वेद पुराण बताउ |
पूरण रूप आकाश ही जग में, कहां इह अधीका गाउ |
सांचा अब ओर तपाउ || हाे || २ ||
इस ही कुरानन में चेताउं कहा तेब कहाउ |
अेक ने सबही कराय सारा, ज्याेति निरमल पाउं|
वही अब हाेरी ठराउं || हाे ३ ||
वात अनेक करीने गाउं, ताे गुण पार ण पाउं |
ओर सबे भ्रम भावकु छंडी,
” सूरि राजेन्द्र” चित लाउं | सब ही अब सिद्धी कराउ || हाे ४ ||
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