जिनराज नमो जिनराज नमो…
(राग : रघुपति राघव…/श्री चिंतामणी प्रभु पार्र्श्वजी…/अब सौंप दिया…)
जिनराज नमो जिनराज नमो, अहोनिश प्रभु भावे चित्त रमो;
दु:ख दोहग दुरित मिथ्यात्व गमो, चउगति भव वनमां जिम न भमो… जि0।।1।।
प्रभुपास जिनेसर वंदो रे, भवसंचित दुरित निकंदो रे;
प्रभु अनुभवज्ञान दिणंदो रे, समता वनिता सवि इंदो रे… जि0।।2।।
प्रभु में काल अनंत गमायो रे, तुम दरिशन सार न पायो रे;
जो पायो तो न सुहायो रे, त्रिकरण शुद्धे नवि ध्यायो रे… जि0।।3।।
मुजने मोह महीशे रमाड्यो रे, भव नाटकमांहि भमाड्यो रे;
वली कुगुरु कुदेव नमाड्यो रे, युंही एले अवतार गमाड्यो रे… जि0।।4।।
शुद्ध बोध नृपति सुप्रसादे रे, लह्युं समकित परम अाल्हादे रे;
टल्युं परम मिथ्यात्व अनादि रे, थयो सहज स्वभाव सादि रे… जि0।।5।।
जब अापे अाप विचार्युं रे, तब निश्चय एहि ज धार्युं रे;
उपगार गुणे न विसार्यो रे, जब विषय कषाय निवार्यो रे… जि0।।6।।
ए महिमा सर्व तुमारो रे, तुज मुज वच्चे अंतर वारो रे;
जिम सफल होवे अवतारो रे, ‘ज्ञानविमल’ गुण दिल धारो रे… जि0।।7।।
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