करतां नित्य भोलामणी…
(राग : देखी श्री पार्र्श्वतणी मूर्ति अलबेलडी…)
करतां नित्य भोलामणी, प्रभु! इम के ता दिन जाशे हो,
भीना जे अोलग रसे, प्रभु! ते किम अाकुला थाशे हो…
मोहनगारो मारो, दु:ख हरनारो मारो,
प्राण पीयारो मारो साहिबो… (3) प्रभु! माहरा… (3)
दिल भर दरिशन अाप हो… मुगति तणा फल अाप हो… ।।1।।
कर जोडी अोलग करूं, रात दिवस एक ध्यान हो;
जाणो रखे! देवुं पडे, वात सुणो नहि कान हो… ।।2।।
देव घणां अनेरडा प्रभु!, ते मुजने न सुहाय हो;
फल थाये जे तुम थकी प्रभु!, ते किम अन्यथी थाय हो… ।।3।।
अोछा कदीय न सेवीये प्रभु!, जे न लहे पर पीड हो;
मोटी लहरी सायर तणी प्रभु!, भांगे ते भवनी भीड हो… ।।4।।
देतां भाडुं भगतिनुं प्रभु!, तिहां नहि केहनो पाड हो;
लेशुं फल जन रीझवी प्रभु!, तिहांशुं कहेश्ये चाड हो… ।।5।।
मुख देखी टीलुं करे प्रभु!, ए तो जग व्यवहार हो;
गिरूअा एहवुं न लेखवे प्रभु!, जिम ऊंचा जलधार हो… ।।6।।
श्री शंखेर्श्वर पार्र्श्वजी प्रभु!, व्हाला प्राण अाधार हो;
‘कांति’ कहे कवि प्रेमनो प्रभु!, तुमथी क्रोड कल्याण हो… ।।7।।
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