मने अापजाे बळ अेवुं नाथ…

(राग: अखंड सौभाग्यवती…)

मन अापजाे बळ अेवुं नाथ, भव भव तारी सेवा करुं
तुं छे देव जगतमां अेक खराे, मारा अंतरमां सद्भाव भराे
अन्य देवाेमां मनडुं न जाय, भव भव0 1

मनमाेहन दर्शन तारा थया, मारा पातिक सर्वे दूर गया
तारा विना बीजुं न देखाय, भव भव0 2

शान्त उपशम रसथी नाथ भर्या, राग द्वेषने मूळथी दूर कर्या
मारा परिणाम निर्मल थाय, भव भव0 3

मिथ्या भावना तापथी दूर रहुं, नित्य समकित शीतल छाये रहूं
गाेडी पारस शरण लेवाय, भव भव0 4

सूरि राजेन्द्र नामनुं ध्यान धरुं, सूरि यतीन्द्र चरणे चित्त धरुं
मुनि जयन्त प्रभु गुण गाय, भव भव0 5

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