माता वामादे बोलावे…

(राग : हालरडुं-हालो हालो हालो हालो मारा नंदने रे…)

माता वामादे बोलावे, जमवा पार्श्वने रे,
जमवा वेला थई छे, रमवाने शीद जाय;
चालो तात तुमारा, बहु थाये उतावला रे,
वहेला हालोने, भोजनीया टाढा थाय… माता वामादे0।।1।।

माँनुं वचन सुणीने, जमवाने बहु प्रेमशुं रे,
बुद्धि बाजोठ ढालीने, बेठा थई होशियार;
विनय थाल अजुअाली, लालन अागल मूकीयो रे,
विवेक वाटकियो, शोभावे थाल मोझार… माता वामादे0।।2।।

समकित शेलडीना, छोलीने गांठा मूकीया रे,
दानना दाडम दाणा, फोली अाप्या खास;
समता सीताफलनो, रस पीजो बहु राजीया रे,
जुगते जामफल, अारोगोने प्यारा पास… माता वामादे0।।3।।

मारा नानडीयाने, चोखा चित्तना चुरमा रे,
सुमति साकर उपर, भावशुं भेलव्युं घृत;
भक्ति भजीयां पीरस्या, पासकुमारने प्रेमशुं रे,
अनुभव अथाणा, चाखोने राखो शरत… माता वामादे0।।4।।

प्रभुने गुण गुंजाने, ज्ञान गुंद वडा पीरस्या रे,
प्रेमना पेंडा जमजो, मान वधारण काज;
जाणपणानी जलेबी, जमतां भांगे भूखडी रे,
दया दूधपाक अमीरस, अारोगोने अाज… माता वामादे0।।5।।

संतोष शीरो ने वली, पुन्यनी पुरी पीरसी रे,
संवेग शाक भलां छे, दातार ढीली दाल;
मोटाई मालपूअा ने, प्रभावनाना पूडला रे,
विचार वडी वघारी, जमजो मारा लाल… माता वामादे0।।6।।

रूची रायतां रूडां, पवित्र पापड पीरस्यां रे,
चतुराई चोखा अोसावी, अाण्या छे भरपूर;
उपर इन्द्रिय दमन दूध, तप तापे तातुं करी रे,
प्रीते पीरस्युं जमजो, जगजीवन सहनूर… माता वामादे0।।7।।

प्रीति पाणी पीधां, प्रभावतीना हाथथी रे,
तत्त्व तंबोल लीधां, शीयल सोपारी साथ;
अक्कल एलायची, अापीने माता मुख वदे रे,
त्रिभुवन तारी तरजो, जगजीवन जगनाथ… माता वामादे0।।8।।

प्रभुनां थाल तणां जे, गुण गावे ने सांभले रे,
भेद भेदांतर समजे, ज्ञानी ते कहेवाय;
गुरू गुमान विजयनो, शिष्य कहे शिरनामीने रे,
‘सौभाग्यविजय’ थाए, गुण गावे जे सदाय… माता वामादे0।।9।।

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