मेरे जीयमें लागी आसकी
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
मेरे जीयमें लागी आसकी, हु ताे पलक न छाेडुं पासे
ज्युं जानाे त्युं राखीये, तेरे चरनका हुं दास रे-मेरे० (१)
क्युं कहाे काेई लाेक दिवाने, मेरे दिल अेक-तार रे
मेरी अंतर-गति तुं ही जानत, ओर न जननहार रे-मेरे० (२)
मेहेर तुमारी चाहीअे, मेरे तुम्ही साथ सनेह रे,
आनंद काे प्रभु पास मनाेहर, अरज अम्हारी अेह रे-मेरे० (३)
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