मेरे साहिब पासजी हो…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : मेरे साहिब तुम हि हो…/जनम जनम का साथ है…)
मेरे साहिब पासजी हो, प्रभु वामानंदा;
खीजमतगार गरीब हुं, मैं तेरा बंदा… हो में तेरा बंदा… मेरे0।।1।।
सेवा सारे वासुकी, लंछन मिसे इंदा;
तुम उपगार सुधारसे, थयो ते धरणिंदा… थयो ते0… मेरे0।।2।।
अनुभव तेज प्रकाशथी, जितकोडी दिणंदा;
निज दाने दासी कर्यां, सुरमणि हरि चंदा… सुरमणि0… मेरे0।।3।।
शामलपास सोहंकरुं, सम मेरु गिरिंदा;
साहिब सुनजरथी होवे, नितु परमानंदा… नितु परमा0 मेरे0।।4।।
अवर देव तुम अंतरो, जिम महिष गइंदा;
देव देवाधिपणे करी, पियुमंद माकंदा… पियुमंद0 मेरे0।।5।।
त्रिभुवन भवने विस्तर्या, जस गुण मकरंदा;
‘ज्ञानविमल’ सेवा करे, प्रभु पद अरविंदा… प्रभु पद0 मेरे0।।6।।
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