मुख खोल जरा…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : भैरवी…/गजल…/मारा व्हाला प्रभु! क्यारे मलशो तमे…)
मुख खोल जरा, यह कह दे खरा, तुं अोर नहीं, मैं अोर नहीं;
तू है नाथ मेरा, मैं हुँ जान तेरी, मुझे क्युं बिसराई जान मेरी,
जब करम कटा अौर भरम फटा, तू अोर नहीं मैं अोर नहीं… मुख0।।1।।
तू है ईश मेरा, मैं हुं दास तेरा, मुजे क्युं न करो, अब नाथ खरा;
जब कुमति टरे अोर सुमति वरे, तू अोर नहीं मैं अोर नहीं… मुख0।।2।।
तू है पास जरा, मैं हुं पाश परा, मुझे क्युं न छोडावो, पास टरा;
जब राग कटे अौर द्वेष मिटे, तू अोर नहीं मैं अोर नहीं… मुख0।।3।।
तू है अचलवरा, मैं हुँ चलन चरा, मुझे क्युं न बनावो अाप सरा;
जब होंश जरे अौर संग टरे, तू अोर नहीं मैं अोर नहीं… मुख0।।4।।
तू है भूपवरा शंखेश खरा, मैं तो ‘अातमराम’ अानंद भरा;
तुम दरस करी सब भ्रान्ति हरी, तू अोर नहीं मैं अोर नहीं… मुख0।।5।।
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