पारस अंतरयामी
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग: चरण की शरण ग्रहुं)
पारस अंतर्यामी मेराे प्रभु, पारस अंतर्यामी…
और सुरासुर देखी न रीझुं, प्रभु सेवा में पामी…मेराे प्रभु.
रंकन की आण धरे कुण शिर, तजी त्रिभुवननाे स्वामी…मेराे प्रभु.
दुःख भांजे छिन मांही निवाजे शिवसुख द्याे शिवगामी…मेराे प्रभु.
क्या कहीअे तुमसे कृपानिधि खमजाे मेरी खामी…मेराे प्रभु.
कहे जिन हर्ष परमपद चाहुं अरज करुं शिरनामी…मेराे प्रभु.
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