पारस प्रभु! तुम हम शिरके मोर…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : अाशावरी…/मैया मोरी में नहि…/अब मोहे…/मुनिवर! तुं मोहे दिल वस्यो….)
पारस प्रभु! तुम हम शिर के मोर… पारस प्रभु! तुम हम शिर के मोर..!
जो कोई सिमरे शंखेश्वर प्रभु रे, डारेगा पाप निचोर… पारस0।।1।।
तुं मनमोहन चिद्घन स्वामी, साहेब चंद चकोर… पारस0।।2।।
त्युं मन विकसे भविजन केरो, फारेगा कर्म हिंडोर… पारस0।।3।।
तुं मुज सुनेगा दिल की बाता, तारोगे नाथ खरोर… पारस0।।4।।
तुं मुज ‘अातम’ अानंददाता, ध्याता हुं तुमरा किशोर… पारस0।।5।।
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