पार्श्व प्रभु के दस भव का स्तवन…

(राग. साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल… / श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम..)
शंखेश्वर दरबारमां गावुं मधुरा राग, वामादेवीना नंद तुमे सुणजो रे वीतराग,
जय जय जय जय पारसनाथ. 1
पोतनपुरी पहले भवे समकितने लीधा, मरूभुति नामे तमे सत्कार्यने कीधा,
खमावतां निज भाईने मृत्यु शिरे लीधा, समता धरी आपे अहो पामे न कोई ताग. 2
बीजे भवे हस्ती बनी जिनधर्मने पाम्या, सर्पे दीधो विषडंखने तोये तमे खम्या,
मृत्यु थई स्वर्गे गया दिल धर्ममां जाम्या, धन्य हे जगनाथ ! समाधि छे तारी साथ. 3
विद्याधर चोथे भवे वैराग्यने पाम्या, राज्य त्यजी रलीयामणुं संसारनी माया,
अणगार थई विचरे सदा जिन ध्यानने ध्याया, झेरी डस्यो भुजंग तोये प्रेमनो निनाद.4
बारमे स्वर्गे गया भव पांचमे उजमाल, त्यांथी च्यवी छट्ठे भवे विदेहमां अवतार,
कुमार वज्रनाभ नामे संयम स्वीकार, भीले कर्यो तीरघात मुनि धीर बडभाग. 5
ग्रैवेयके सुर देवता भव सातमे सुजाण, त्यांथी च्यवी विदेहमां चक्री बन्या कल्याण,
सुवर्णबाहु नामे गुणरत्ननी छे खान, दीक्षा ग्रही जिनराज पासे धन्य हे नरनाथ. 6
निकाचता जिननामने अणगार महाधीर, वनराज समरी वैरने मारे मुनिवर वीर,
नवमे भवे स्वर्गे गया खील्युं महा खमीर, वैरभाव त्यजी पाम्या तमे शीवपुरनी पाग. 7
जंबुद्विपे गंगातीरे वाराणसी आव्या, स्वर्गथी चवी दशमे भवे पार्श्व कहाया,
अश्वसेन राजन कुले जयनाद कराया, वैभवलयी संसारनो कीधो प्रभुए त्याग. 8
संसार कारावासनी सहु बेडियो तोडी, वैराग्यनी हाकल करी मोह हांडियो फोडी,
सिद्धि वधुनी साथे शुभ प्रीतने जोडी, तोड़्या अंते मोड़्या सहु संसारना विखवाद. 9
मोक्षे गया जिन आप मुकी जीवोने अनाथ, विकराल आ संसारमां रुडो गयो संगाथ,
‘माणेक मुनि’ कहे मने तारजो जगनाथ, निवारजो संसारमां रखडेलनो सहु थाक.10

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