पासजी! तोरा पाय पलक में…

(राग : मारवाडी…)

पासजी! तोरा पाय पलक में, छोड्या रे नवि जाय, पलक में (2)
साहिबा! तुमसे लगन लगी… हो साहिबा! तुमसे लगन लगी… हो0।।1।।
लगी लगी अांखीयाने रही रे लोभाय, दुनियामां दूजो कोई अावे न दाय… हो0।।2।।
अाछी अाछी अंगीयाने रंग अनुप, अजब बन्युं छे साहिबा अाजनुं रूप… हो0।।3।।
शिर काने कर हैये सोहे उदार, मुगुट कुंडल बाजु बंध ने हार… हो0।।4।।
तुज पद पंकज मुज मन भंग, चित्तमां लाग्यो रे साहिबा चोलनो रंग… हो0।।5।।
देवाधिदेव तुं तो दीनदयाल, त्रिभुवननायक तुजने नमुं त्रण काल… हो0।।6।।
लंबी लंबी बाउडीने बडे बडे नेण, सुरतरू सरीखा साहिबा शिव सुख देण… हो0।।7।।
जूनी जूनी मूरतीने ज्योत अपार, सूरत देखीने प्रभुजी मोह्यो संसार… हो0।।8।।
सत्तरसे एँशी समेने चैतर मास, पूरण मासे पहोती पूरण अाश… हो0।।9।।
‘उदयरत्न’ वाचक वदे एम, पार्र्श्वशंखेर्श्वर जोता वाध्यो छे प्रेम… हो0।।10।।

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