राग. चांद की दिवार न तोडी, परदेशीयो से न अखीयाँ मिलाना…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
मनमोहन प्रभु पासजी, सुणो जगत आधारजी,
शरणे आव्यो प्रभु ताहरे, मुज दुरित निवारजी. 1
विषय कषायना पाशमां, भम्यो काल अनंतजी,
राग द्वेष महा चोरटा, लुट्यो धर्मनो पंथजी. 2
पण कोई पूरव पूण्यथी, मलीया श्री जिनराजजी,
भव समुद्रमां डूबता, आलंबन जिम जहाजजी. 3
कमठे निज अज्ञानथी, उपसर्ग कीधा बहुं जातजी,
ध्यानानल प्रगटावीने, कीधो कर्मनो घातजी. 4
केवलज्ञानथी देखीयुं, लोकालोक स्वरूपथी,
विजय मुक्तिपद जई वर्या, सादी अनंत चिद्रूपजी. 5
ते पद पामवा चाहतो, मोहन कमलनो दासजी,
मन मोहन प्रभु माहरी, पूरजो मननी आसजी. 6
Tags:
Leave a comment