राग- मालकोष, शिवरंजनी

आनंद की घडी आई, सखीरी आज आनंद की घडी आई,
करके कृपा प्रभु दरिशन दिनो, भवकी पीड मीटाई,
मोह निद्रासे जाग्रत करके, सत्य की बात सुणाई, तनमन हर्ष न माई.. सखीरी0 1
नित्यानित्यका भेद बताकर, मिथ्यादृष्टि हराई,
सम्यग्ज्ञानकी दिव्य प्रभाको अंतरमें प्रगटाई, साध्य साधन दिखलाई.. सखीरी0 2
त्याग वैराग्य संयम के योग से, नि:स्पृह भाव जगाई,
सर्वसंग परित्याग कराकर, अलख धून मचाई, अपगत दु:ख कहलाई.. सखीरी0 3
अपूर्वकरण गुणस्थानक सुखकर, श्रेणी क्षपक मंडवाई,
वेद तीनोंका छेद कराकर, क्षीण मोही बनवाई, जीवन मुक्ति दिलाई… सखीरी0 4
भक्त वत्सल प्रभु करूणा सागर, चरण शरण सुखदाई,
‘जश’ कहे ध्यान प्रभु का ध्यावत, अजर अमर पद पाई, द्वंद सकल मिट जाई…
सखीरी0 5

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