सदा अाणंद नयन मेरे…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : मेरा जीवन कोरा कागज…/सोना केंरा कांगरा ने…)
सदा अाणंद नयन मेरे, भेटिया भगवान रे;
पासथंभण भुवनमंडण, तीर्थतिलक समान रे… सदा0।।1।।
सप्तफणी-मणि-मुगटमंडित, तेज झाकझमाल रे;
कांति मरकत-रत्न सरिखी, मूर्ति अति सुकुमाल रे… सदा0।।2।।
कृष्ण पण मोहतिमिर हठावे, एह अचरिज ठाण रे;
वीतराग छे तोहि जननो, चित्तरंजन जाण रे… सदा0।।3।।
अश्वसेन-नरिंद नंदन, जास वामा मात रे;
परमज्योति स्वरुप प्रगटत, गुण अनंत विख्यात रे… सदा0।।4।।
तुं अवर्णी वर्णी सविने, ध्यानभेदे होय रे;
तुंहि ज गुण धामरामी, लहे अवर न कोय रे… सदा0।।5।।
परमपुरुष पुरुहुंत प्रणमता, प्रबल पुण्यप्रभाव रे;
‘ज्ञानविमल’ जिणंद सेवा, भवजले लहीए नाव रे… सदा0।।6।।
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