साधु भाई आतमरूप दिखाया

साधु भाई आतमरूप दिखाया, ओर सगल जग माया |
साधु भाई आतमरूप दिखाया ||
ममता मार मकर मिटाया गरब गुमान गमाया |
सिद्धस्वरूप है शाश्वत सुंदर, यही जिन मारग ध्याया || साधु १ ||

पारस परतिख हमकु पाया, संग में कनक बनाया |
साेही मगसी प्रभु परतिख देखाे, समुचित शक्ति बनाया || साधु २ ||

वाे ताे हमाराे अेक रूप है, और उपाधि बनाया |
हमारी क्रिया साे हमही करत है, पर किरिया संग ठाया || साधु ३ ||

हम ही करता हम ही भाेक्ता, निज गुण लहि हरखाया |
साे ताे कबहुं ण पलटे तिकाले, उलट पलट जगमाया || साधु ४ ||

अेसे हमारे नाथ निरंजन, मगसीपुर थिर ठाया |
” सूरि राजेन्द्र ” ना रूप अनंता, अनेक भांति कर गाया || साधु ५ ||

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