शंखेश्वर ना धणी…

(तर्ज: अादिनाथ ने वन्दन हमारा…)

शंखेश्वर ना धणी, करीअे विनंती घणी,
तारणहारा, टालाे टालाेने फेरा अमारा &
नर्क निगाेदनां दुःखडां, माेटां, लागे अमने प्रभुजी अे खाेटां &
सुणजाे स्वामी तमे, शरणे अाव्या अमे, प्रभुजी प्यारा टालाे.1

कमठासुर ने समक्ति अाप्युं, ज्ञान अापी अज्ञानने काप्युं &
ज्ञान अेवुं अापाे, भवना बंधन कापाे, माेहनगारा 2

साचा स्वामी जग उपकारी, विश्ववत्सल करुणाधारी &
अापाे ज्याेति अेवी, शाश्वत सुख दे तेवी, जगदाधारा 3

स्वामी सेवक सौअे तमारा, करजाे अन्तर अम उजवाला &
तुम पद सेवा मले, वांछित सौअे फले, पारस प्यारा 4

अाव्या थिरपुर नगर थी भावे, वाघजी चउविध संघने लावे &
बेहजार पांत्रीश, चैत्र वदनी बारस, भयहारा 5

सूरि राजेन्द्र! वन्दन तमने, ताराे यतीन्द्र प्रभुजी अमने &
जयन्त उरमां धराे, मिथ्यातमने हराे, प्राणधारा 6

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